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गुज़ारिश यही कि तुम पढ़ना

गुज़ारिश यही कि तुम पढ़ना

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रचनाधर्मिता कोई साधारण कार्य नहीं, सूखे फूलों में फिर से नई ताज़गी लाने जैसा असाधारण कार्य है ।यह पुस्तक भी जीवनानुभवों और उससे संबंधित अनुभूतियों का समन्वय है। अपने आस-पास की घटनाओं से प्रभावित हुए बिना सामाजिक सरोकारों से नहीं जुड़ा जा सकता है इसीलिए इस काव्य संग्रह में विविध रंगों का वैविध्य पूर्ण चित्रण देखने को मिलेगा। प्रेम, करूणा, गंभीर चिंतन,नए विमर्श आदि से जुड़ता यह काव्य संग्रह आप सभी के समक्ष नये रंग रूप और आकर्षक कलेवर में प्रस्तुत है। हमेशा की तरह इस संग्रह को भी आप सभी का स्नेह प्राप्त होगा ।इसी अभिलाषा के साथ... डॉ उपासना दीक्षित

SKU:9798898655853

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