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चाँद हुआ पागल
चाँद हुआ पागल
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इस पुस्तक में कुछ गीत और कुछ ग़ज़लें शामिल की गई हैं , जो समाज के पारिवारिक, सामाजिक और राजनैतिक जीवन से ली गई हैं। पुस्तक की रचनाओं में व्याकरण के फॉर्मूलों का प्रयोग नहीं किया गया है-अर्थात इन्हें "व्याकरण से परे" रखकर लिखा गया है -
"हर बहर को बहुत ही मनाना पड़ा
काफ़ियों से भी हमको निभाना पड़ा
कुछ रदीफ़ो से मिन्नत बहुत की मगर
व्याकरण से परे,हमको जाना पड़ा"
SKU:9789372136975
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