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नदी गुनगुनाती है

नदी गुनगुनाती है

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राकेश कुशवाहा ‘राही’ हिन्दी साहित्य के संवेदनशील एवं सशक्त स्वर हैं। आपने हिन्दी में परास्नातक उपाधि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से प्राप्त की। राही जी की अब तक कई काव्य कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें "नये चिराग", "महकते फूल लम्हें", "अक्ष", "साहित्य प्रेमी", एवं "सागरिका" प्रमुख हैं। आपकी रचनाएँ मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक सरोकारों तथा प्रकृति की सौंदर्याभिव्यक्ति से ओतप्रोत होती हैं। आपको अक्ष सम्मान, अमृत कुंभ सम्मान सहित अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए हैं। आप निरंतर साहित्य साधना में रत हैंi

SKU:9789372133127

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