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आग और सपने मेरी हथेली पर

आग और सपने मेरी हथेली पर

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आदमी जब पैदा होता है और मरता है इसके बीच में वह न जाने क्या क्या करता रहता है और उसकी की गयी करतूतें उसके खाते में दर्ज होती हैं. मैं ये नहीं कहता कि कवितायें उनको सजा देंगी, कविताएं उनके हक में फैसला देंगी, कविताएँ उन्हें सबक देंगी, कि कविताएं बदला लेंगी, कि कविताएं ज्ञान देंगी, कि कविताएँ उन सारी चिंताओं पर ध्यान देंगी, जिनसे इंसान को तकलीफ होती है. और कविताएँ ऐसा नहीं है कि असाध्य रोगों का इलाज करेंगी. मगर हाँ कविताये, ये कविताएँ आदमी के चश्मे को साफ करेंगी ताकि वो दूर तक देख सके कि कितना उजाला है और कितना अँधेरा, कितना गहरा है और कितना ऊँचा सन्नाटा कि कितना शोर है और कितना स्पंदन, कितना क्रंदन है और कितना अतिक्रमण.

SKU:9789369532520

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