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ख़ामोशी बोल उठी
ख़ामोशी बोल उठी
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"ख़ामोशी बोल उठी" एक ऐसी शायरी-संग्रह है जो उन लम्हों को आवाज़ देती है,
जो अक्सर दिल में दफन रह जाते हैं।
यह किताब मोहब्बत, जुदाई, अधूरे रिश्तों, और खामोश दर्द की नज़्मों का सिलसिला है —
जो हर उस दिल को छू सकती है जो कभी टूटा है,
कभी प्यार में भीगा है,
या जिसने किसी बिना अल्फ़ाज़ के अलविदा को सहा है।
हर पन्ना एक भाव है,
हर नज़्म एक अधूरी दुआ,
हर शेर एक ख़ामोशी की चीख़।
यह किताब उन जज़्बातों का आईना है जिन्हें हम महसूस तो करते हैं,
मगर कह नहीं पाते।
अगर आपने कभी किसी को बेइंतिहा चाहा हो,
या बेआवाज़ बिछड़न महसूस की हो —
तो यह किताब आप ही के लिए है।
SKU:9789369531523
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